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Moonlighting अचानक न्यूज़ में क्यों आया
विप्रो ने अभी हाल ही में ‘Moonlighting’ के लिए लगभग 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है क्योंकि कंपनी के कुछ employee ऑफिस वर्किंग hours में दूसरी जॉब भी कर रहे थे।
दरअसल मूनलाइटिंग (Moonlighting kya hai) का अर्थ है अपनी फुल-टाइम नौकरी के अलावा दूसरी नौकरी या कई अन्य कार्य करना। कंपनियों ने इस बात का विरोध करते हुए कहा है कि कई काम करने वाले कर्मचारी (Employee) उनकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर सकते हैं।
Wipro के चेयरमैन प्रेमजी ने कहा कि कंपनी के पास किसी भी कर्मचारी के लिए ऐसी कोई जगह नहीं है जो विप्रो में काम करते हुए दूसरी कंपनी के लिए काम करें। विप्रो अकेली ऐसी कंपनी नहीं है जिसने ‘मूनलाइटिंग’ को लेकर चिंता जताई है, कुछ दिन पहले आईबीएम (IBM) ने भी लेटेस्ट ट्रेंड के खिलाफ चेतावनी दी थी।
Moonlighting kya hai (मूनलाइटिंग)
मूनलाइटिंग (Moonlighting kya hai) का अर्थ है अपनी फुल-टाइम नौकरी के अलावा दूसरी नौकरी या कई अन्य कार्य करना। कंपनियों ने इस बात का विरोध करते हुए कहा है कि कई काम करने वाले कर्मचारी (Employee) उनकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर रहे हैं।
आईटी इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग एक बहस का विषय बन गया है क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान घर से काम करना सामान्य काम बन गया था, जिसके बारे में माना जाता है कि इससे Double Employment में वृद्धि हुई है।
क्या है टॉप कम्पनीज की राय
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीएफओ एनजी सुब्रमण्यम ने इसे एक एथिकल मुद्दा माना है। इंफोसिस ने भी अपने कर्मचारियों को कंपनी को बताए बिना दूसरी नौकरी करने के खिलाफ चेतावनी दी है। मानव संसाधन विभाग द्वारा कर्मचारियों को भेजे गए ईमेल में, इंफोसिस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उसके सभी कर्मचारियों को वैकल्पिक नौकरी लेने से पहले अपने रोजगार अनुबंध को पढ़ना चाहिए। वास्तव में, कंपनी ने कर्मचारियों को काम के घंटों के दौरान या बाद में दूसरी नौकरी करने पर बर्खास्तगी की चेतावनी भी दी। 15 सितंबर को आईबीएम इंडिया के एमडी संदीप पटेल ने Moonlighting को अनैतिक बताया।
इस बीच, टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने कहा कि वह Moonlighting के लिए तैयार हो सकते हैं यदि इससे कर्मचारियों को अतिरिक्त पैसा कमाने में मदद मिलती है।

इन्फोसिस के पूर्व निदेशक मूनलाइटिंग (Moonlighting kya hai) को “धोखा” नहीं मानते हैं। “रोजगार एक नियोक्ता के बीच एक अनुबंध है जो मुझे दिन में ‘N’ घंटों के लिए उनके लिए काम करने के लिए भुगतान करता है। अब उस समय के बाद मैं जो करता हूं वह मेरी आजादी है, मैं मैं जो चाहता हूं वह कर सकता हूं,”
क्या ऐसा कोई कानून है जो Double Employment को रोकता है?
ऐसा कोई कानून नहीं है जो Double Employment को रोकता है, आईटी कर्मचारियों को कमिटेड काम के घंटों के बाद अपनी प्राथमिक नौकरी से डिस्कनेक्ट करने और अन्य परियोजनाओं में या तो अतिरिक्त आय के लिए या स्किल डेवलपमेंट करने के लिए, या अन्य हितों को आगे बढ़ाने का अधिकार है।
भारतीय रोजगार कानूनों में किसी भी क़ानून के तहत मूनलाइटिंग को परिभाषित नहीं किया गया है। मूनलाइटिंग भी अनिवार्य रूप से दोहरा रोजगार नहीं है, जो एक औपचारिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध है, जो न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी आदि जैसे कानूनी दायित्वों के साथ पूरा होता है। यह फ्रीलांसिंग भी हो सकता है।
Swiggy ने इंडस्ट्री की पहली ऐसी नीति की घोषणा की, जिसने अपने कर्मचारियों के लिए मूनलाइटिंग (Moonlighting kya hai) की अनुमति दी। “कोई भी व्यक्ति किसी प्रोजेक्ट या एक्टिविटी जो ऑफिस समय के बाहर या वीकेंड पर प्रोडक्टिविटी को प्रभावित किए बिना करे तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
कंपनियों को Moonlighting से परेशानी क्या है
मूनलाइटिंग के खिलाफ कंपनियों की सबसे बड़ी परेशानी डेटा और प्राइवेसी को लेकर है, और जिससे कंपनी की प्रोडक्टिविटी को नुकसान हो सकता है।
यदि वे समान उद्योग और नौकरी में काम कर रहे हैं तो मूनलाइटिंग कर्मचारियों को व्यापार सीक्रेट (Trade Secret) ट्रांसफर करने का अवसर दे सकता है।
कर्मचारियों को गोपनीय जानकारी (Confidential Information) बनाए रखने के महत्व को समझने की आवश्यकता है जो एक प्रतिस्पर्धी संगठन (Competitive Organization) को लाभ पहुंचा सकती है।
यदि कर्मचारी लंबे समय तक काम कर रहे हैं, तो दूसरी नौकरी से कर्मचारी डिस्ट्रैक्ट, अनप्रोडक्टिव हो सकता है और शारीरिक थकान के कारण नौकरी की जिम्मेदारियों की नेग्लेक्ट कर सकता है।
कर्मचारी अपनी दूसरी नौकरी के लिए कंपनी के रिसोर्स का उपयोग कर सकते हैं जिससे ऑपरेटिंग खर्च बढ़ जाता है।
1 thought on “Moonlighting kya hai | क्या आपको भी कम्पनी JOB से निकाल सकती है ?”