ऊँचे लोगों को तन्हाई ज़्यादा खलती है
वर्ना बादल बूँद-बूँद हो बिखरे नहीं होतेइश्क़ करें कह न सकें दूरी भी सह न सकें
इतने पर भी दीवाने रुलाये नहीं रोतेघर से दफ़्तर दफ़्तर से घर रोज यही चक्कर
मगर हक़ीक़त भरी भीड़ में ख़ाब नहीं खोतेहमारे लिए पल भर को भी रोते नहीं हो तुम
तुम्हारे लिए इक पल को भी हम नहीं रोतेनाम न पूँछों वो जो भी था उसके बाद
वाँ पर तुम नहीं सोते याँ पर हम नहीं सोतेसब पूँछे इस चहरे की रौनक का राज
बस इतनी सी बात मियाँ हम ग़म नहीं ढोतेसूरज तन्हा है उसने बदला नहीं ख़ुद को
कोई हमारा नहीं होता किसी के हम नहीं होते
